गत्ते के डिब्बे में थे बेटी की खोपड़ी के हिस्से, पकड़ते हुए मां-बाप कांप रहे थे

इससे भयावह और क्या होगा. एक बदनसीब मां-बाप को 18 साल बाद अपनी बेटी के अवशेष सौंपे जा रहे हों. सोचकर ही आप हिल जाएंगे, वो मंजर कैसा रहा होगा. कासरगोड की अदालत से एक छोटा सा गत्ते का डिब्बा जब एक दंपति अपने हाथों में ले रहा था, वे कांप रहे थे. दुख क

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इससे भयावह और क्या होगा. एक बदनसीब मां-बाप को 18 साल बाद अपनी बेटी के अवशेष सौंपे जा रहे हों. सोचकर ही आप हिल जाएंगे, वो मंजर कैसा रहा होगा. कासरगोड की अदालत से एक छोटा सा गत्ते का डिब्बा जब एक दंपति अपने हाथों में ले रहा था, वे कांप रहे थे. दुख की सीमा नहीं थी. आंखों से आंसू बह रहे थे. उस डिब्बे में उनकी प्यारी बिटिया की खोपड़ी के कुछ हिस्से थे, जिसकी 18 साल पहले हत्या कर दी गई थी.

2006 में गोवा में क्या हुआ था

उस समय साफिया 13 साल की थी. पुलिस के मुताबिक 13 साल की सोफिया की दिसंबर 2006 में गोवा में हत्या कर दी गई थी. उस समय वह कासरगोड के एक ठेकेदार के. सी. हमसा के घर में घरेलू सहायिका के रूप में काम कर रही थी. पुलिस ने बताया कि वह कथित तौर पर रसोई में गंभीर रूप से जल गई थी और सजा के डर से हमसा ने लड़की की हत्या कर दी.

उसने शरीर के टुकड़े किए

हमसा ने बच्ची के शरीर को टुकड़ों में काटा और गोवा में एक निर्माणाधीन बांध स्थल पर फेंक दिया. शव के टुकड़े 2008 में बरामद हुए थे. पुलिस ने बताया कि बाद में आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया और एक स्थानीय अदालत ने उसे 2015 में मौत की सजा सुनाई.

हालांकि केरल उच्च न्यायालय ने 2019 में उसकी सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया. अदालत द्वारा दोषी को सजा दिए जाने के बाद माता-पिता को लगा कि उनकी बेटी कम से कम औपचारिक, सम्मानजनक अंतिम संस्कार की हकदार थी.

कर्नाटक के कुर्ग से ताल्लुक रखने वाली लड़की का परिवार चाहता था कि अदालत उनकी बेटी के शव के टुकड़े सौंप दे ताकि वे अपने धार्मिक रीति-रिवाज के अनुसार उसका अंतिम संस्कार कर सकें. केरल में कासरगोड मुख्य सत्र अदालत ने उनके अनुरोध को स्वीकार करते हुए सोमवार को उन्हें लड़की की खोपड़ी सौंप दी. (भाषा इनपुट)

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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